Education on primary level

Education on primary level

Education, Success

बच्चों का पहला विद्यालय उनका घर होता है और अध्यापिका मां।इस बात से सभी अच्छी तरह परिचित है और सही भी है,क्योंकि बच्चा जो कुछ भी सीखता है अपनी मां और परिवार से ही सीखता है। परिवार उसको बोलना, चलना, खाना-पीना आदि बहुत कुछ सिखाता है।हर माता-पिता चाहते हैं, कि उनका बच्चा अच्छी शिक्षा ग्रहण करें, पढ़ लिख कर कामयाबी हासिल करें। इसलिए वे अपने बच्चे को अच्छे से अच्छे स्कूल में शिक्षा ग्रहण कराते हैं।हालांकि शुरुआती दिनों में सभी अपने बच्चों को प्ले वे स्कूल में दाखिला कराते हैं।प्ले वे स्कूल बच्चे को अच्छी अच्छी आदतें सिखाते हैं रोजमर्रा के उपयोग में बोले जाने वाले शब्द याद कराते हैं, और दूसरे बच्चों के साथ कैसे  तालमेल बिठाना है,उनसे कैसे दोस्ती करनी है आदि सिखाते हैं।

जब बच्चा ढाई साल का हो जाता है तो, माता-पिता को अच्छे स्कूल में दाखिला कराने की फिक्र होती है। क्योंकि विशेषज्ञों की राय भी यही एक बच्चे के दिमाग का 85 फीसदी विकास 6 वर्ष की आयु से पहले ही हो जाता है। लेकिन अपने देश भारत में ज्यादातर घरों में बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान कम दिया जाता है। जब बच्चा 5 साल का हो जाता है, तब माता पिता उसके लिए स्कूल की तलाश करके प्रवेश कराते हैं। इसलिए ज्यादातर बच्चों की शुरुआत कमजोर हो जाती है। जिसके कारण वे शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं दिखा पाते,और शिक्षा के क्षेत्र में पीछे रह जाते हैं। इस बात को सभी अच्छी तरह जानते हैं की, शुरू में बच्चे को जिस माहौल में रखा जाता है।वे वैसी ही शिक्षा और आदतें सीखता है, क्योंकि इस आयु में बच्चे की सोचने और समझने की शक्ति ज्यादा होती है।इसलिए प्ले वे स्कूल में प्रवेश करने से बच्चे की शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक  वृद्धि में विकास होता है।

छोटे बच्चों को अच्छी शिक्षा  ग्रहण कराने के तरीके:-

        1 बच्चों  के टाइम टेबल का होना बहुत जरूरी है, जो लाइफ़ टाइम उसकी आदत बन जाएगा।

          2 छोटे बच्चों को प्यार से पढ़ाए, डांटे  बिल्कुल भी नहीं, क्योंकि डांटने से बच्चा पढ़ेगा नही।

           3   बच्चों को कविता और कहानियों के द्वारा पढ़ाने की कोशिश करें, इससे बच्चा जल्दी सीखता है।

          4 बच्चे को खेलने का पर्याप्त समय दे, अगर हो सके तो आप भी उनके साथ खेले, इससे बच्चे पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

          5  जब बच्चा काम पूरा कर ले या याद कर ले तो उसे प्यार अवश्य (जरूर) करें। इससे बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है।

           6  बच्चे को पूरी नींद सुलाए।आधी नींद सोए बच्चे ठीक से पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते।

             7  सोते समय बच्चों को कहानी सुनाए। इससे बच्चा अच्छी और भरपूर नींद सो सकेगा।

              8  जितना हो सके बच्चे को मोबाइल और टीवी से दूर रखें। इससे बच्चों की आंखों पर बुरा असर पड़ता है।

               9  बच्चे को रोजाना थोड़ा-बहुत व्यायाम कराएं,इससे बच्चे की पढ़ाई पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

                10 बच्चों का ध्यान पढ़ाई में लगाने के लिए उनकी डाइट का खास ख्याल रखें, क्योंकि पोषण की कमी के कारण बच्चा मानसिक और शारीरिक विकार से पीड़ित हो सकता है।

11 बच्चों को हमेशा अलग कमरे में पढाएं, ताकि उनका  ध्यान ना भटके।

           12  बच्चे पर पढ़ाई का ज्यादा प्रेशर (दबाव) ना बनाएं। उन्हें तनावमुक्त रहने दें, क्योंकि दबाव पड़ने से बच्चे को जो याद होगा वह सब भूल जाएगा।

           13 बच्चों को पढ़ाने के लिए हमेशा पिक्चर वाली पुस्तक का चयन करें,क्योंकि पिक्चर देख कर बच्चा जल्दी सीखता है।

             14  बच्चों का ध्यान पढ़ाई में लगाने के लिए खिलौने का उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि बच्चा खेल खेल में  काफी कुछ सीख जाता है।

           15  हमेशा बच्चों से प्यार से बात करें। उनकी बात सुने। कभी भी बच्चे की बात को अनसुना ना करें आदि।

प्राथमिक शिक्षा:-  6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को दी जाने वाली शुरुआती शिक्षा को प्राथमिक शिक्षा कहते हैं, क्योंकि ये वर्ष बच्चों के लिए बहुत जरूरी बुनियादी वर्ष  होते हैं।जिसमें सभी बच्चे अपने जीवन के आधारभूत बात अच्छे से सीखते हैं, उनका व्यक्तिगत कौशल बढ़ता है, उनकी समझ, भाषा सीखने की योग्यता, नई-नई क्रिया (एक्टिविटी) आदि सीखते हैं। जिस तरह सभी सजीव चीजों को जीवित रहने के लिए खाना खाने और पानी पीने की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार इंसान को शिक्षा की आवश्यकता होती है शिक्षा से  सकारात्मक सोच और मस्तिक का विकास होता है। और हम मानसिक रूप से मजबूत बनते हैं, शिक्षा ग्रहण करने के बाद ही बच्चा अच्छी और बुरी चीजों में अंतर करना सीखता है। हर चीज को एक नए अनुभव और  और नजरिए के साथ देखना सीखता है। शिक्षा हमे बहुत कुछ सिखाती है, शिक्षा प्राप्त किए बिना इंसान एक जानवर के समान है। शिक्षा ही जीवन जीने का सही तरीका सिखाती है। इससे हमारे Behavior में इंप्रूवमेंट होता है।

छोटे बच्चों का मन अगर पढ़ाई में नहीं लग रहा है,तो  घबराएं नहीं, क्योंकि यह समस्या सभी माता-पिता के लिए सामान्य (कॉमन) है,क्योंकि छोटे बच्चे पढ़ने में थोड़ा बहुत नखरा तो करते ही हैं,और फिर बच्चे ही तो है धीरे-धीरे सीख जाएंगे। सभी माता-पिता को अपने बच्चे को पढ़ाने के लिए नए-नए तरीके ढूंढने चाहिए। कभी कभार बच्चे को प्यार से पढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। बच्चे को मारना या डांटना कोई उपाय नहीं है,इससे बच्चे के मन में डर बैठ जाता है, या फिर कुछ बच्चे चिड़चिड़ा हो जाते हैं।इसलिए अगर आपका बच्चा पढ़ाई  में ध्यान नहीं दे पा रहा है, तो उससे बात करें, कही उसे कोई परेशानी तो भी है, उसे खुश रखने की कोशिश करें। बहुत सारे कारण हो सकते हैं, बच्चों के पढ़ाई में मन ना लगने के। ऐसे में अगर माता-पिता ही बच्चे को नहीं समझेंगे तो बच्चा तनाव का शिकार हो  सकता है।

बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगने के कारण:-

          1  दिमाग का तेज ना होना।

           2 भूलने की आदत 

            3 थकान 

             4 नींद की कमी 

               5  स्वास्थ्य संबंधी समस्या 

                6 पोषण की कमी 

                  7  भावनात्मक समस्या 

                8 घर का माहौल ठीक ना होना

               9  कमरे में या पढ़ने की जगह पर रोशनी की कमी

                 10  लर्निंग पावर का कमजोर होना आदि।

छोटे बच्चे जब स्कूल जाना शुरु करते हैं, तो अपने सहपाठियों के साथ मिलकर वे काफी कुछ सीख जाते,और कुछ हद तक पढ़ना और लिखना भी सीख जाते हैं। जबकी घर में रहकर बच्चा प्यार दुलार के कारण ऐसा कुछ नहीं सीख हो पाता। घर पर बच्चों को पढ़ाना काफी मुश्किल होता है, और कुछ आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी।

ज़माना इतना आगे निकल गया है, हर जगह कंपटीशन की दुनिया है। पहले के समय के मुकाबले आज के बच्चों पर पढ़ाई  का ज्यादा बोध होता है। माता-पिता अपने बच्चों से काफी उम्मीदें लगा लेते हैं। इंग्लिश मीडियम की पढ़ाई ऊपर से भारी भारी किताबें बच्चों को परेशान कर देती है। उनसे उनका बचपन ही छीन लिया जाता  है।

Child with teacher draw paints in playroom. Preschool.

            छोटे बच्चे एक कच्चे घड़े की तरह होते हैं। माता-पिता या परिवार के सदस्य जैसा  उसे आकार देना चाहते हैं,वे उसी आकार (माहौल) में ढल जाते हैं।उसको अच्छा इंसान  आपकी मेहनत पर निर्भर करता है। बच्चों की परवरिश, शिक्षा, भविष्य, अच्छी आदतें आदि सभी कुछ माता पिता पर निर्भर होता है।आप शुरू से छोटे छोटे शब्द बोल कर इंग्लिश में बातें करेंगे,तो कल वह भी आप ही की तरह बोलेंगे।बच्चे को कॉपी किताब से पढ़ाने से बेहतर है,कि आप उन्हे बोलकर या बातें करके सिखाएं।इस तरह बच्चा जल्दी सीखता है। इसलिए प्री प्राइमरी स्कूल में बच्चों को ऐसा कोर्स उपलब्ध कराया जाता है, जिसके जरिए बच्चे जल्दी सीख सकें। संख्या, भाषा, गिनती, रंग, पहेलियां, अच्छा व्यवहार, आपसी सहयोग आदि सिखाया जाता है।

छोटे बच्चों को क्या क्या सिखाएं :-

        1  बच्चों को शुरू से थैंक यू और प्लीज बोलना सिखाएं, ताकि बच्चे को आप जब भी कुछ दें, तो वह थैंक यू बोल सके।

            2  कुछ भी लेने से पहले बच्चों को पूछना सिखाएं। बिना परमिशन किसी की चीज को न छुएं।

          3 बच्चों को सॉरी बोलना (माफी मांगना) सिखाए।

           4 बच्चों को शुरू से पेंसिल पकड़ना सिखाएं।

            5 बच्चों को लिखना सिखाने के लिए रंगों का सहारा लें।

             6  अगर बच्चा पेंसिल सही से नहीं पकड़ पा रहा है तो उसे स्लेट और चॉक दें।

               7 छोटे बच्चे बड़ों की कॉपी करते हैं, इसलिए पहले आप लिखें,फिर बच्चे को लिखवाएं।

             8   होमवर्क करने में  उनकी  मदद करें।

               9  बच्चों  सिट डाउन और स्टैंड अप करना सिखाए।

               10  बच्चों के अच्छा काम करने पर उन्हें क्लैप करना सिखाएं।आदि।

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